गोण्डा ज़िला उत्तर प्रदेश के लखनऊ गोरखपुर रेल मार्ग पर स्थित है। इस ज़िले का नाम हिंदुस्तान की आज़ादी की लड़ाईयों में बहुत बार मिलता है। यह प्रदेश के उपजाऊ जिलों में से एक है। क्रांतिकारी राजेंद्र नाथ लाहिरी को यहीं के जेल में सजा दी गई थी। इस जिले में ३ बड़ी नदियों प्रवाहित होती हैं जिनके नाम घाघरा, सरयू और कुआनो है। इनके अलावा और भी कई छोटी मौसमी नदियां प्रवाहित होती है और इसी वजह से यहाँ की ज़मीन अत्यंत ही उपजाऊ होती है। इस जिले का धार्मिक महत्व भी बहुत है।
प्रदेश : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh -U.P.)
मुख्यमंत्री : योगी आदित्यनाथ ( मार्च 2017 से....)
प्रदेश के मुख्यमंत्री : योगी आदित्यनाथ
यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है की माँ सती का नीचला जबड़ा यहाँ गिरा था। ऐसा भी कहा जाता है की भगवान विष्णु के वाराह अवतार को जब हिरण्याक्ष का वध करने के लिए पाताललोक जाना था तो उन्हें रास्ता नहीं दिख रहा था। तब उन्होंने माँ आदिशक्ति की आराधना की जो माँ वाराही के रूप में यहाँ प्रगट हुई और वाराह अवतार को पाताल लोक का रास्ता देखने की नज़र प्रदान की। तभी से ऐसे मान्यता है की माँ वाराही यहाँ आने वाले भक्तो की आँखें ठीक कर देती हैं। इस मंदिर में स्थिर वट (बरगद ) वृक्ष को लगभग 1800 वर्ष पुराना कहा जाता है। इसी वृक्ष के दूध और मंदिर में बने सुरंग से आने वाले जल के द्वारा ही भक्तों के नेत्र दुखों को दूर किया जाता है। कहा जाता है की जिस मार्ग से भगवान् वाराह पाताल लोक गए थे वो सुरंग आज भी इस मंदिर में स्थित है तथा माँ सती का जबड़ा इस सुरंग में गिरा था तथा वो सीधा पाताल लोक चला गया था।
यह मंदिर महादेव को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है की भीम ने जब बकासुर नामक दैत्य का वध किया तो इस के पश्चाताप के लिए भोले नाथ की आराधना की एवं यहाँ इस शिवलिंग की स्थापना की। यह एशिया के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है। ऐसी मान्यता है की इस शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग में पांडवों के निर्वासन के दौरान भीम जी ने की थी। यह शिवलिंग लगभग 5000 वर्ष पुराना है। हर शिवालय की तरह ही हर सोमवार यहाँ भक्तो की अत्यधिक भीड़ दर्शनों के लिए आती है। सावन के माह में यहाँ प्रतिदिन भक्त सैकड़ो की शंख्या में बाबा भोले नाथ के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में भोले नाथ जी के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।